अध्याय 2- निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार
(1) छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक को, जिसमें धारा 2 के खंड (घ) या खंड (ड) में निर्दिष्ट कोई बालक भी सम्मिलित है, उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी आस-पास के विद्यालय में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा।
(2) उपधारा (1) के प्रयोजन के लिए, कोई बालक किसी प्रकार की फीस या ऐसे प्रभार या व्यय का संदाय करने के लिए दायी नहीं होगा, जो प्रारंभिक शिक्षा लेने और पूरी करने से उसे निवारित करे।
(3) धारा 2 के खंड (डड) के उपखंड (अ) में निर्दिष्ट किसी निशक्त बालक को, निशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सरंक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, और धारा 2 के खंड (डड) के उपखंड (आ) और उपखंड (इ) में निर्दिष्ट किसी बालक को निशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के वैसे ही अधिकार प्राप्त होंगे जो निशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के अध्याय 5 के उपबंधों के अधीन निशक्त बालकों को प्राप्त हैं
परंतु राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-निःशक्तताग्रस्त व्यक्ति कल्याण न्यास अधिनियम, 1999 (1999 का 44) की धारा 2 के खंड (ज) में निर्दिष्ट ‘बहु-निशक्तता से ग्रस्त किसी बालक को और खंड (ण) में निर्दिष्ट ‘गंभीर बहु-निशक्तता’ से ग्रस्त किसी बालक को भी घर-आधारित शिक्षा का विकल्प अपनाने का अधिकार हो सकेगा।
4. ऐसे बालकों, जिन्हें प्रवेश नहीं दिया गया है या जिन्होंने प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं की है, के लिए विशेष उपबंध-जहां, छह वर्ष से अधिक की आयु के किसी बालक को किसी विद्यालय में प्रवेश नहीं दिया गया है या प्रवेश तो दिया गया है किंतु उसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं की है, तो उसे उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा
परंतु जहां किसी बालक को, उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में सीधे प्रवेश दिया जाता है, वहां उसे अन्य बालकों के समान होने के लिए, ऐसी रीति में और ऐसी समय-सीमा के भीतर, जो विहित की जाए, विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने का अधिकार होगा
परंतु यह और कि प्रारंभिक शिक्षा के लिए इस प्रकार प्रवेश प्राप्त कोई बालक, चौदह वर्ष की आयु के पश्चात् भी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक निशुल्क शिक्षा का हकदार होगा।
5. अन्य विद्यालय में स्थानांतरण का अधिकार
(1) जहां किसी विद्यालय में, प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने की व्यवस्था नहीं है वहां किसी बालक को, धारा 2 के खंड (ढ़) के उपखंड (iii) और उपखंड (iv) में विनिर्दिष्ट विद्यालय को छोड़कर, अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के लिए किसी अन्य विद्यालय में, स्थानांतरण कराने का अधिकार होगा।
(2) जहां किसी बालक से किसी राज्य के भीतर या बाहर किसी भी कारण से एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में जाने की अपेक्षा की जाती है, वहां ऐसे बालक को धारा 2 के खंड (ढ़) के उपखंड (iii) और उपखंड (iv) में विनिर्दिष्ट विद्यालय को छोड़कर, अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के लिए किसी अन्य विद्यालय में, स्थानांतरण कराने का अधिकार होगा।
(3) ऐसे अन्य विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए उस विद्यालय का प्रधान अध्यापक या भारसाधक, जहां ऐसे बालक को अंतिम बार प्रवेश दिया गया था, तुरंत स्थानांतरण प्रमाणपत्र जारी करेगा
परंतु स्थानांतरण प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने में विलंब, ऐसे अन्य विद्यालय में प्रवेश के लिए विलंब करने या प्रवेश से इंकार करने के लिए आधार नहीं होगा
परंतु यह और कि स्थानांतरण प्रमाणपत्र जारी करने में विलंब करने वाले विद्यालय का प्रधान अध्यापक या भारसाधक, उसको लागू सेवा नियमों के अधीन अनुशासनिक कार्यवाही के लिए दायी होगा/होगी।
छत्तीसगढ़ विशेष : RTE 12 (1)(c) योजना भारतीय संसद द्वारा 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया था तथा 1 अप्रैल 2010 से प्रभावी हुआ। छत्तीसगढ़ मे RTE 12 (1)(c) योजना का लाभ सत्र 2010-11 से दिया जा रहा है। पूर्व मे अधिनियम का लाभ कक्षा – आठवीं तक ही दिया जाता था, परन्तु अब इसमे (छ. ग. राज्य स्तर पर) संसोधन कर सत्र 2019 मे इसकी मान्यता बढ़ाकर क्लास – बारहवीं तक कर दी गयी है। आरटीई 12(1)(सी) के अंतर्गत सभी गैर – अनुदान प्राप्त और गैर – अल्पसंख्यक प्राइवेट स्कूलों के प्रारंभिक कक्षाओं में 25% सीट दुर्बल और असुविधाग्रस्त परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित होता है। इस अधिनियम के तहत 3 से 6½ वर्ष तक के बच्चे किसी भी प्राइवेट स्कूल के प्रारंभिक कक्षा मे प्रवेश ले सकते है। इस योजना से प्रवेशित छात्र कक्षा 12वी तक नि:शुल्क चयनित स्कूल मे अध्ययन कर सकते है। अब तक छत्तीसगढ़ मे लगभग 2.9 लाख छात्र इस योजना का लाभ ले रहे है। क्योकि इस योजना का लाभ जरूरतमंद और पात्र छात्रों को नर्सरी से क्लास - बारहवीं तक नि:शुल्क शिक्षा दिया जाता है इसका मुख्य उदेश्य समाज मे सभी वर्ग के लोगो के मध्य सामाजिक समावेशन अर्थात सामाजिक समानता लाना, और सभी समूहों को मूल्यवान और महत्वपूर्ण महसूस करना है, ताकि विभिन्न प्रकार से किए जाने वाले भेदभव को हटाया जा सके।
जानकारी का स्त्रोत : मूल अधिनियम एवं स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षा का अधिकार (RTE) पोर्टल छत्तीसगढ़ शासन
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