छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाला राज्य की एक प्रमुख भर्ती अनियमितता है, जिसमें वर्ष 2019 से 2022 के बीच हुई परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के गंभीर आरोप सामने आए हैं।( स्त्रोत: Live Hindustan ) 🧾 घोटाले का सारांश अवधि : 2019 से 2022 तक। प्रमुख आरोप : CGPSC के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव और अन्य अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों और प्रभावशाली नेताओं के परिजनों को अनुचित तरीके से सरकारी पदों पर नियुक्त किया। पदों की संख्या : 2020 में 175 पदों और 2021 में 171 पदों पर भर्ती हुई थी, जिनमें अनियमितताओं के आरोप हैं। मुख्य आरोप : पेपर लीक, इंटरव्यू बोर्ड में पक्षपात, और चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी।( स्त्रोत: Live Hindustan , Dainik Bhaskar ) 🔍 CBI जांच और कार्रवाई जांच का हस्तांतरण : जनवरी 2024 में राज्य सरकार ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी। छापेमारी : CBI ने रायपुर, भिलाई और अन्य स्थानों पर 18 अभ्यर्थियों के घरों में छापेमारी की, जिसमें लैपटॉप, मोबाइल, हार्...
छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई कार्रवाई और शराब घोटाले से संबंधित घटनाक्रम ने राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था को झकझोर दिया है। 🧾 शराब घोटाले का सारांश घोटाले की अवधि : 2019 से 2022 तक। कुल भ्रष्टाचार राशि : लगभग ₹2,161 करोड़। मुख्य आरोपी : अनवर ढेबर (कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के भाई)। अरुणपति त्रिपाठी (CSMCL के पूर्व प्रबंध निदेशक)। अनिल टुटेजा (सेवानिवृत्त IAS अधिकारी)। कवासी लखमा (पूर्व आबकारी मंत्री)। त्रिलोक सिंह ढिल्लों, नितेश पुरोहित (शराब कारोबारी)।(स्रोत : Live Hindustan , Dainik Bhaskar ) 🔍 ED की जांच और खुलासे कवासी लखमा की भूमिका : ईडी के अनुसार, लखमा शराब सिंडिकेट के एक अभिन्न अंग थे और उनके निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। उन्हें हर महीने लगभग ₹2 करोड़ की अवैध आय प्राप्त होती थी। (स्रोत : https://mpcg.ndtv.in/ ) नीति में बदलाव : लखमा ने आबकारी नीति में बदलाव कर FL-10A लाइसेंस की शुरुआत की, जिससे विदेशी शराब के व्यापार में कुछ चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया। (स्रोत : Dainik Bha...